Saturday 22 July 2017

शपथ लेते ही खुलेगी राष्ट्रपति भवन में दबाकर रखी गयी नेहरू पर रिपोर्ट, भारत रत्न भी छीना जायेगा ?

मोदी जी के नेतृत्व में रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति बन गए हैं. एनडीए उम्मीदवार कोविंद 65.65 फीसदी वोट के साथ देश के 14वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं. कोविंद 25 जुलाई को शपथ ग्रहण करेंगे. राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने के बाद रामनाथ कोविंद के सामने अपने कार्यकाल का पहला बड़ा फैसला लेने की चुनौती होगी.आखिर वो पहला काम क्या होने वाला है ?? हालाँकि लोगों के मन में उठे इस सवाल का अभी कोई पुख्ता जवाब तो नहीं है लेकिन हाँ इस बात पर अनुमान ज़रूर लगाये जा सकते हैं.


रामनाथ कोविंद कर सकते है अपना अधूरा काम पूरा !!



बता दें कि बात शुरू होती है सन् 1997 से जब देश में संयुक्त मोर्चे की सरकार हुआ करती थी और मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री हुआ करते थे. रामनाथ कोविंद जो अब देश के राष्ट्रपति बन गए हैं, उस समय राज्यसभा से सांसद हुआ करते थे. उस समय रामनाथ कोविंद ने मांग उठाई थी कि हेंडरसन ब्रू्क्स-भगत रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए. इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का ये नतीजा होता कि इस रिपोर्ट के सबके सामने आने के बाद 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की हार के कारणों का पता चल जाता लेकिन तब मुलायम सिंह यादव ने यह कह कर हैंडरसन-ब्रुक्स रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से मना कर दिया कि हम उसे ऐसे ही सार्वजनिक नहीं कर सकते है, ये एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है.

आखिर क्या लिखा है हेंडरसन ब्रू्क्स-भगत रिपोर्ट में !! 



आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1962 के युद्ध में हार का सामना करने के बाद भारत सरकार ने इस पर एक रिपोर्ट  तैयार की थी लेकिन जो रिपोर्ट तैयार हुई थी वो आखिर गई कहाँ ?? आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने उस रिपोर्ट को ये कह कर अलमारी में बंद कर दिया कि ये रिपोर्ट क्लासिफाइड है और इसे यूँ ही सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. लोगों ने कारण जानना चाहा तो बताया गया कि रिपोर्ट में लिखा गया मुद्दा काफी सवेंदनशील है. तब से लेकर अब तक देश में कई सरकारें आयीं लेकिन कभी भी किसी सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया.


इस रिपोर्ट को इंडियन आर्मी के दो अधिकारियों लेफ्टिनेंट जनरल हेंडरसन ब्रुक्स और ब्रिगेडियर जनरल परमिंदर सिंह भगत ने तैयार किया इसीलिए इसे हेंडरसन ब्रू्क्स-भगत रिपोर्ट भी कहते हैं.

खुफिया सूत्रों के अनुसार एक ऑस्ट्रेलियाई लेखक और पत्रकार नेविल मैक्सवेल को इस रिपोर्ट के कुछ अंश मिले थे. मैक्सवेल ने 1970 में इंडिया-चाइना युद्ध पर एक किताब लिखी थी जिसमे उन्होंने बताया था कि भारत सरकार के कुछ गलत फैसलों के चलते ही भारत-चीन युद्ध में भारत को हार मिली थी.



मैक्सवेल ने अपनी इस किताब में साफ़-तौर पर ये लिखा था कि  इंडिया की “फॉरवर्ड पॉलिसी” के कारण चीन ने चिढ़ के भारत पर आक्रमण किया था और दूसरी तरफ भारत की पुरानी हो चुकी इंटेलिजेंस इस बात का पता नहीं लगा पाई थी. चीन भारत पर आक्रमण करने वाला है इस बात का पता किसी भी नेता, यहां तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू को भी नहीं था. इसके बाद क्या हुआ उससे तो दुनिया वाकिफ़ ही है, इस युद्ध में करीब 2000 भारतीय सैनिक मारे गए और 4000 लोगों को कैद कर लिया गया था.



बताते चले कि हाल ही में भारत के 14वें राष्ट्रपति बनने के साथ ही रामनाथ कोविंद जहाँ वो तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर तो बन ही जायेंगें ऐसे में जायज़ है वो इस रिपोर्ट को मंगवाकर पढ़ भी सकते हैं और इसे सार्वजनिक भी कर सकते हैं. ये तो सिर्फ एक अंदाज़ा भर है, इसका फैसला तो खुद रामनाथ कोविंद जी ही करेंगे राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद..

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