Friday 14 July 2017

बंगाल में हालात सुधारने के लिए 110 सैनिको की 10 टोली बंगाल रवाना, कोर्ट के आदेश से हुआ सम्भव

 पश्चिम बंगाल में बढ़ती हिंसाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कमान अब मोदी सरकार के हाथों में दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार बंगाल में CRPF की कंपिनयां भेजे। कोर्ट ने कहा कि बंगाल के हालात ठीक करना अब ममता सरकार के बसकी बात नहीं है। मोदी सरकार बंगाल में सेना भेजकर मोर्चा संभाले। 

वहीं, पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा को लेकर जिस तरह की राजनीति हो रही है, वह चिंता का विषय है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि प्रशासन की ओर से कोई चूक हुई है। वह हिंसा खत्म करने और राज्य में सौहार्द कायम करने के बजाय अपनी सारी ऊर्जा राज्यपाल को कठघरे में खड़ा करने में खर्च कर रही हैं।

उनका कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव में साथ न देने के कारण केंद्र सरकार उनकी सरकार को अस्थिर करना चाहती है। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बीजेपी एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार करने में जुटी हैं। बीजेपी का कहना है कि टीएमसी सरकार ने मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति अपनाई है, जबकि टीएमसी का कहना है कि बीजेपी सांप्रदायिकता फैला रही है। किसी को भी आम आदमी की चिंता नहीं है, जो भारी परेशानी झेल रहा है। 


गौरतलब है कि फेसबुक पर डाली गई एक नाबालिग की आपत्तिजनक पोस्ट के बाद पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में बादुड़िया और आसपास के क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई। एक हफ्ता बीतने के बाद भी अगर लगातार तनाव बना हुआ है तो साफ है कि पुलिस प्रशासन घटना को कंट्रोल कर पाने में नाकाम साबित हुआ है। सचाई यह है कि दूसरी बार सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी अब तक कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने में सफल नहीं रही हैं। 

पिछले साल जब मालदा में दंगा हुआ था तो उसे संभालने में राज्य की पुलिस फेल हो गई थी। विपक्ष अगर सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगा रहा है तो वह पूरी तरह निराधार भी नहीं है। ममता सरकार की कहीं न कहीं छवि बन गई है कि वह एक समुदाय विशेष पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं।

 एक ऐसे राज्य के लिए, जो बंटवारे से सीधे जूझा हो और लंबे समय से राजनीतिक हिंसा में फंसा रहा हो, यह बेहद खतरनाक स्थिति है। अब एकमात्र रास्ता यही है कि ममता बनर्जी साजिश का रोना छोड़कर पुलिस को मौके पर फैसला लेकर कार्रवाई करने का अधिकार दें। तमाम दलों के नेता अपने तात्कालिक सियासी हितों को छोड़कर लोगों को शांत कराने और उनके दिलों में एक-दूसरे के लिए घर कर गई नफरत को दूर करने की कोशिश करें।

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